नई टिहरी-चम्बा मोटर मार्ग पर नई टिहरी से लगभग ३ किलोमीटर बाद सुरसिहं धार पर मुख्य मार्ग से एक संकरी सी सड़क नीचे ढाल की तरफ जाती है इसी सड़क पर लगभग डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद ग्राम कण्डा (सारजूला पट्टी, विकासखण्ड चम्बा) में सड़क के किनारे बांज का एक बहुत ऊंचा पेड़ दिखाई देता है इसी पेड़ के नीचे स्थित है सुरसिंह देवता का मन्दिर। मन्दिर के पुजारी श्री प्रेम सिंह चौहान जी के अनुसार मान्यता है कि यह मन्दिर लगभग ३०० वर्ष से अधिक पुराना है और यह असाधारण बांज का वृक्ष भी मन्दिर की स्थापना के समय ही लगाया गया था। पुजारी जी के अनुसार पहले इस स्थान पर एक छोटा सा मन्दिर हुआ करता था लेकिन वर्ष २००५ में मन्दिर का जीर्णोद्धार करके नये भव्य मन्दिर का निर्माण किया गया। पुजारी जी ने इस मन्दिर के किसी पौराणिक महत्व से अनभिज्ञता जताई लेकिन स्थानीय लोगों में सुरसिंह देवता को क्षेत्रपाल रक्षक के रूप में पूजा जाता है। सुरसिंह देवता ग्राम बडोगी के चौहान जाति के लोगों के इष्ट देवता है। मन्दिर में प्रवेश करते ही पहले एक हालनुमा बड़ा कमरा पड़ता है उसके बाद अन्दर गर्भगृह में सुरसिहं देवता की मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा मन्दिर के अन्दर मां दुर्गा की एक सुन्दर मूर्ति स्थापित है। मुख्य मन्दिर के ठीक पीछे भैरव देवता का एक छोटा सा मन्दिर है।
ग्राम बडोगी के निवासियों के द्वारा मन्दिर के उचित व्यवस्था प्रबन्धन हेतु "सुरसिंह मन्दिर समिति" नाम से एक कार्यकारिणी की स्थापना की गई है। मन्दिर के पास ही बैशाख मास की १७-१८ गते को एक छोटे से मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें आस-पास के क्षेत्र से श्रद्धालु आकर दर्शन करके कृतार्थ होते है। मन्दिर परिसर से नई टिहरी तथा गिरिराज हिमालय की कुछ पर्वत श्रृंखला दृष्टिगोचर होती है।
नई टिहरी नगर के मध्य में स्थित नवदुर्गा मन्दिर नगर के सभी मन्दिरों मे सबसे भव्य और विशाल है। पुरानी टिहरी में अन्य मन्दिरों की भांति श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर भी राजा के अधीनस्थ था। टिहरी बांध परियोजना के कारण जब नगर का ...
सत्येश्वर महादेव का मन्दिर सेवन-डी, बौराड़ी नई टिहरी की ढाल पर स्थित है, मन्दिर परिसर बहुत ही अच्छे और तीन तरफ से खुले एक स्थान पर है जो संभवतया नई टिहरी के सभी मुख्य स्थानों से साफ दृष्टिगोचर होता है। मन्दिर के पुजारी महन्...
नईटिहरी सांईचौक से कालेज रोड़ पर लगभग १ किलोमीटर चलने के बाद ९सी मुहल्ला मौलधार में सड़क के बायीं तरफ एक मन्दिर का मुख्यद्वार दिखाई देता है। मुख्यद्वार से प्रवेश कर कुछ सीढ़ियां उतरने के बाद हनुमान मन्दिर दिखाई देता हैं। पुरा...
सरस्वती शिशु मन्दिर बौराड़ी नई टिहरी के पीछे स्थित है लक्ष्मी-नारायण मन्दिर। पुरानी टिहरी नगर में अन्य मन्दिरों की भांति लक्ष्मी-नारायण मन्दिर भी राजा के अधीनस्थ था। टिहरी बांध परियोजना के कारण जब नगर का विस्थापन होने...
नई टिहरी नगर के शिखर पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय समीप स्थित है पंचदेव मन्दिर। नगर की तरह ही पंचदेव मन्दिर भी ज्यादा पुराना नहीं है। मन्दिर की स्थापना के विषय में मन्दिर के पुजारी श्री मुनेन्द्र दत्त उनियाल जी के अनुसार टिहरी...
कुंजापुरी शक्तिपीठ ५२ शक्तिपीठों में से एक है। मन्दिर तक पहुंचने के लिये तीर्थनगरी ऋषिकेश से टिहरी राजमार्ग पर पहले लगभग २३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिन्डोलाखाल नामक एक छोटे से पहाड़ी बाजार तक का सफर तय करना पड़ता है, जहां ...